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रामायण - EP 17 - राम का श्रंगवेरपुर पहुँचना। निषादराज से मिलन। सुमन्त का लौटना।

रामायण - EP 17 - राम का श्रंगवेरपुर पहुँचना। निषादराज से मिलन। सुमन्त का लौटना।

Episode from रामायण .

episode · 1,141 Plays · 36:45 · Hindi

About

तमसा नदी के तट पर राम सीता और अयोध्यावासी रात्रि विश्राम करते हैं। राम सूर्योदय से पहले उठते हैं और प्रजा को सोता छोड़कर चुपचाप यह स्थान छोड़ने का निर्णय लेते हैं। वे सुमन्त के साथ रथ पर सवार होकर श्रंगवेरपुर पहुँचते हैं जो निषादराज गुह का राज्य है। निषादराज राम के मित्र हैं। एक सैनिक निषादराज को राम के रथ के राज्य सीमा में प्रवेश की सूचना देता है। निषादराज बंधु बांधवों के साथ उनसे मिलते हैं। वो राम को तपस्वी वेश में देखकर अचम्भित है। वे कैकेयी की चाल समझ जाते हैं। उधर दशरथ अपने महल में पुत्र विरह में जल रहे हैं। उन्होने अन्न जल त्याग दिया है। निषादराज राम से अपने छोटे से वनप्रदेश श्रंगवेरपुर की सत्ता सम्भालने का अनुरोध करते हैं। राम इसे अस्वीकार करते हैं और वृक्ष के नीचे घासफूस के बिछौने पर रात्रि विश्राम करते हैं। लक्ष्मण माता सुमित्रा के आदेश का पालन करते हुए रात्रि प्रहरा देते हैं। सवेरे राम निषादराज से गंगा पार कराने के लिये नौका का प्रबन्ध करने का अनुरोध करते हैं। राम आर्य सुमन्त से वापस अयोध्या जाने, पिता दशरथ को सम्भालने और भरत के राज्याभिषेक की व्यवस्था करने का निवेदन करते हैं। सुमन्त राजा दशरथ की इच्छानुसार सीता को वापस अयोध्या भेजने का अनुरोध राम से करते हैं। सीता उन्हें अपने पत्नी धर्म का भान कराकर इनकार कर देती हैं। राम गंगा पार जाने का उद्धत होते हैं। लक्ष्मण उन्हें खड़ाऊ पहनाना चाहते हैं। लेकिन राम इसका भी त्याग कर देते हैं। लक्ष्मण भी बड़े भाई का अनुसरण करते हुए अपनी चरण पादुकाऐं उतार देते हैं। निषादराज कहते हैं कि वन के पथरीले मार्ग पर नंगे पाव चलना दुष्कर होगा। तब राम को स्मरण आता है कि बाल्यकाल में गुरू वशिष्ठ ने उन्हें अपने आश्रम में कठोर तप का प्रशिक्षण देकर वनवासी जीवन जीने के अनुकूल बना दिया था। राम समझ जाते हैं कि गुरू वशिष्ठ त्रिकालदर्शी हैं और सम्भवतः वे भाँप चुके थे कि भविष्य में क्या होने वाला है। Hosted on Acast. See acast.com/privacy for more information.